Supreme Court stayed the Uttar Pradesh government’s order aimed at ensuring purity of food for Kanwar Yatra pilgrims.
The order was an interim one and not a final decision, leading to controversy and debates among nationalists and Hindu communities.
Chief Justice of the High Court was involved in the initial stay order, questioning the legality and origin of the directive’s authority.
Yogi Adityanath’s government later passed an ordinance to establish legal grounds for reissuing the directive, citing existing powers.
The issue sparked broader discussions on governmental authority, food safety laws, and the judiciary’s role in such matters.
Supreme Court’s stay order
आज सुप्रीम कोर्ट [Supreme Court] ने योगी जी के कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra)में काव यात्रियों के लिए शुद्ध भोजन सुनिश्चित करने के लिए दिए हुए निर्देश को स्टे कर दिया | और उसको लेकर जो हमारे राष्ट्रवादी लोग हैं, जो हिंदू लोग हैं, जो सात्विक लोग हैं उनमें एक प्रकार से हाहाकार मचा हुआ है | और वे तरह तरह से कभी सीधे कभी प्रकारा से कभी और किसी तरीके से Supreme Court को बुला भरा कह रहे | लेकिन मैं थोड़ा सा इस पूरे प्रकरण को दूसरी और दूसरी तरह से देखता हूं |
पहले तो मैं आपको जो टेक्निकल चीज है वो बता देता हूं कि यह जो ऑर्डर है यह एक्स पार्टी ऑर्डर है, इसमें वहां पर यूपी गवर्नमेंट या कोई और गवर्नमेंट जो उत्तराखंड या एमपी गवर्नमेंट जो भी है वह रिप्रेजेंटेड नहीं थी | व एक तरफा कारवाई हुई | और उन्होंने एक इंटरम ऑर्डर दिया है | फाइनल ऑर्डर नहीं है | यह इंटरम ऑर्डर है और दोबारा फ्राइडे को यह रखा है | लेकिन जैसा कि हम कहते हैं कि लोग जो है फाइन प्रिंट नहीं पढ़ते हैं | पूरी बात नहीं पढ़ते हैं | और बिना किसी बात के उत्तेजना फैलाना आरंभ कर देते हैं |
Food safety during Kanwar Yatra 2024
आखिरकार Supreme Court ने कहा क्या है Supreme Court ने ये कहा है कि भाई यह जो बात जो भी हो रही है उसके कई सारे सवाल भी पूछे कि भा सवाल ये पूछे कि ये बताइए कि ये जो कहा जा रहा है ये सभी के लिए कहा जा रहा है | एक के लिए कहा जा रहा है ये पूछा कि भाई ये जो भोजन है जो खाने पीने की वस्तुएं हैं उनके लिए क्यों नहीं कहा जा सकता ? ये यह तो फूड सिक्योरिटी एक्ट में है फूड सेफ्टी एक्ट में है फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट 2006 जिसकी हम सब बात कर रहे हैं | इतने दिनों से उसके अंतर्गत रूल्स बनते हैं |
उसके अंदर लाइसेंस दिए जाते हैं | लाइसेंस की कंडीशन होती है | रूल सरकार जैसे चाहे वैसे बना ले | कंपट अथॉरिटी उसी में निश्चित होती है | रूल्स में ही बनती है सब कुछ सरकार के हाथ में है | लेकिन उसके बाद भी मुझे लगता है कि यह जो भी किया ऐसा तो नहीं है कि सरकार को पता नहीं है कि भा हम किसी कानून के अंतर्गत कर रहे हैं या नहीं कर रहे हैं |
Yogi during Corona
योगी जी वैसे भी जाने जाते हैं कि यदि कानून एक बार आपको ध्यान हो कि योगी जी ने कोरोना में कई सारे कोरोना को बाधित करने वाले व्यक्तियों की | और इस प्रकार के व्यक्तियों की जो हंगामा कर रहे थे | शहीन बाग टाइप का मामला ज चला रहे थे उनके सबके नाम जो थे वह जाहिर कर दिए थे | और उनकी फोटो जो है वह सार्वजनिक कर दी थी | और चरा पर लगवा दी थी उसको को जो है वो एक तरफा स्टे कर दिया था | हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस थे उस समय गोविंद माथुर जी |
उसको लेकर जब सरकार गई Supreme Court में तो Supreme Court ने कहा कि आप यह बताइए कि आपको यह शक्तियां कहां से मिली ? और उसके लिए उनको समय दिया | मेरे ख्याल से दो हफ्ते का समय दिया था उसी दो हफ्ते में योगी (yogi adityanath) जी ने ऑर्डिनेंस लाके कानून बना लिया और उसी कानून के अंतर्गत उसी आदेश को दोबारा जारी कर दिया | और बाद में जाकर बता दिया Supreme Court को कि ये लीजिए साहब यह शक्तियां आई और यह हमने आदेश जारी किया | अभी तो भैया शक्तियां पहले से हैं और Supreme Court ने भी बाद में यह कहा कि भाई पुलिस के पास अधिकार नहीं है यह डायरेक्टिव जारी करने का |
और इफोर्स करने का यह जो अधिकार है यह पुलिस का नहीं है | वैसे एक बात और भी बता दूं इसमें उन्होंने डायरेक्टिव को स्टे नहीं किया | केवल इंफोर्समेंट को स्टे किया है | भाई आप किसी को पकड़ोगे ध कड़ो ग नहीं मतलब यह डायरेक्टिव तो अभी भी वही पर है | लेकिन इसमें बहुत आसान तरीका है योगी (yogi adityanath)सरकार के पास में इसका क्या पॉलिटिकल रफिन होने वाला है वोह भी मैं अभी डिस्कस करूंगा | लेकिन जहां तक कानूनी बात है वह सिर्फ इतनी सी है कि…
अब योगी बाबा (yogi adityanath) को केवल काव यात्रा का जो रूट है ना उसको ध्यान में ना रखें पूरे प्रदेश में फूड सेफ्टी एक्ट के अंतर्गत जो भी कंपट अथॉरिटी है उसके माध्यम से यह आदेश जारी करवा दें | आदेश के प्रोफॉर्मा में यदि कुछ और ऐड करवाना हो तो रूल चेंज कर दे रूल चेंज करना तो सरकार के केंद्र राज्य सरकार के हाथ की बात है | क्योंकि ये जो है ये कंकट लिस्ट का लेजिसलेशन है इसमें रूल्स जो है वो स्टेट गवर्नमेंट द्वारा बनाए जाने आपको जो भी अगर रूल्स किसी भी तरह के बनाने हो बना दीजिए |
फ्राइडे को जब जाइएगा तो बता दीजिएगा साहब कि ये रूल है इसके अंतर्गत ये हमने और आगे फर्द कर दिया है | फूड सिक्योरिटी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स एक्ट 2006 अंतर्गत | इतना सा काम है वो योगी जी कर लेंगे |
Akhilesh Yadav
लेकिन इससे जो सबसे अधिक नुकसान हुआ है वह हुआ है अखिलेश यादव को | क्योंकि अखिलेश यादव ने पहले तो इसको इशू बनाया ही क्यों इशू बनाने की इसमें आवश्यकता नहीं थी क्या अखिलेश यादव को पता नहीं है कि कावड़ ले जाने वाले जो अधिकतर हिंदू होते हैं वह कौन होते हैं जी हां उसमें से 80 से 90 % जो हैं वह दलित और पिछड़े जाति के लोग होते हैं | यह क्या अखिलेश यादव को पता नहीं था ?
लेकिन चूंकि ओवैसी ने सबसे पहले इसको उछाल दिया तो इनको लगा कि अरे यार हमारे जो मुसलमान भाई है ना वह कहीं हमसे वो रुष्ट ना हो जाए तो उसको उन्होंने उछाला बहुत तगड़े से नहीं उछाला क्योंकि उनको पता है कि भैया जो पिछड़ा और यादव | खास कर से सब शिव भक्त लोग हैं | य शिवजी के कावले के जाते हैं वहां से जल लाते हैं | और जल लाकर फिर उसका अभिषेक करते हैं | जो शिवरात्रि होती है मासिक शिवरात्रि होती है, एक महाशिवरात्रि होती है, बाकी मासिक शिवरात्री होती है, जो चतुर्दशी को चतुर्दशी की रात को होती है |
चतुर्दशी की रात को जो होती है तो उसमें लाके अभिषेक किया जाता है | तो यह काम जो अखिलेश यादव ने किया वो यह भूल गए कि भाई इससे होना जाना तो कुछ है नहीं | क्योंकि योगी जी ने जो जागरूकता लानी थी वह इस आदेश से ला दी | यह कार्य तो हम लोग बहुत दिनों से कह रहे थे और कर रहे थे | और आवान कर रहे थे लोगों का लोगों का आवान कर रहे थे कि भाई तुम अपना नाम लिखो | हम यह नहीं कह रहे थे कि तुम दूसरों से नाम लिखवा हो |
Instant action for Kanwar Yatra
विशेष समुदाय वालों से हम कह तुम अपना नाम लिखो बड़े-बड़े अक्षरों में सब जगह | यदि सारे हिंदू अपना नाम लिख के टांगने लगेंगे तो जो नहीं टांगे वो अपने आप चिन्हित हो जाएंगे उसमें दिक्कत वॉलंटरी है | कोई आपको अपना नाम प्रदर्शित करने से नहीं रोक सकता | तो यह जागरूकता जिसका प्रयास हम दो तीन चार सालों से कर रहे थे हम और हमारे जैसे और अन्य लोग | वो एक झटके में योगी जी ने कर डाली कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra) के बहाने से |
Naam nehi batayenge
कावड़ यात्रा (Kanwar Yatra)के माध्यम से पूरे देश में यह जागरूकता आ गई और पूरे देश में लोग यह भी पूछने लगे कि भाई नाम ही तो लिखवाया है | और नाम लिखवाने में कोई भेदभाव तो नहीं किया है | सभी से कहा है कि अपना नाम लिखो | तो कुछ लोग अपना नाम छुपाना क्यों चाह रहे हैं ? यानी कि जो सेकुलर वाले जो थे ना जो बीच में बैठे हुए थे फेंटर जिनको बोलते हैं अंग्रेजी में वह भी सारे के सारे यह कहने लगे कि यार यह क्या बात हुई हम नाम नहीं बताएंगे | साहब शाहीनबाग में हम नाम नहीं बताएंगे | एनआरसी में नाम नहीं बताएंगे | सीएए में नाम नहीं बताएंगे | लेकिन बाकी समय हम अपनी पहचान दिखाएंगे |
हम बड़े भाई का कुर्ता छोटे भाई का पजामा पहनेंगे | हम बड़ी दाढ़ी रखेंगे मु सफा चट करेंगे | हम बुर्खा पहनाए और हम स्कूल में भी हिजाब पहना के भेजेंगे | एक तरफ तो बिल्कुल कि साब नहीं हमारे कुरान में लिखा हुआ है कि हर वक्त जो है पहचान जो है वो दिखाई जानी चाहिए, जिससे कि काफिरों से फर्क पता चल सके | और तो और बाकी सब जगह जो है वह हलाल मीट जो है वह बिल्कुल हमारे यहां हलाल होगा | और वह हलाल में कहीं भी किसी भी जगह पर स्पर्श नहीं होगा किसी गैर मुसलमान का | तभी वह हलाल होगा |
अगर आप हलाल देखना है कि हलाल की क्या कंडीशंस है तो आप बिल्कुल स्पष्ट समझ जाएंगे उसमें स्पष्ट लिखा हुआ है जो जमीत उलमा हिंद जो हलाल का सर्टिफिकेट देता है ना उसमें सबसे ऊपर यही लिखा हुआ है कि जो व्यक्ति होगा वो मुस्लिम ही होगा | और वो कलमा पढ़ के हलाल करेगा | तो इसमें कोई दिक्कत नहीं आती उनको हलाल सर्टिफिकेट दिखाने में | दूसरों से हलाल सर्टिफिकेट डिमांड करने में | लेकिन यहां बड़ी भारी दिक्कत है भाई नाम नहीं बताएंगे | नाम बताने से भेदभाव हो जाएगा | नाम बताने से धार्मिक सहिष्णुता में कमी आ जाएगी | नाम बताने से नफरत फैल जाएगी |
भाई नाम बताने से अगर नफरत फैलती होती तो भाई इस देश में तो ऐसे लगभग 20 करोड़ लोग हैं लोगों को नाम तो पता ही है ना सबके आधार कार्ड तो बने ही हुए हैं ना ? सब अपना रेशन लेते हैं | सब अपनी जो सरकार की जो फ्रीबीज है वह सब लेते हैं | उसके लिए आधार कार्ड बनवा रखे हैं | तब दिक्कत नहीं होती दुकान पर नाम लिखने में दिक्कत होती है | जो कि शॉप एंड एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में लिखा हुआ है कि आप जो है अपनी दुकान में जो आप का लाइसेंस है वह एक प्रॉमिनेंट प्लेस पे बड़े-बड़े अक्षरों में दिखाएंगे डिस्प्ले करेंगे | क्या दिक्कत है ?
इसलिए भाई उत्तर प्रदेश सरकार को बिल्कुल जो भी चाह रहे हैं कि सेकुलरिज्म का झंडा बुलंद रहे तो सेकुलरिज्म का झंडा पूरी तरह से बुलंद करते हुए एक सेकुलर लॉ है फूड सेफ्टी एक्ट 2006 फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट 2006 उसके अंतर्गत 2011 में रूल्स बने हुए हैं | दोनों काम जो है वह मुलायम सिंह जी सर की स जी की सरकार में हुए हैं एक काम मुलायम जी की सरकार में हुआ है | दूसरा 2011 वाला मायावती जी की सरकार में हुआ है |
मुलायम सिंह जी ने और मायावती जी ने यह कार्य किए हैं तो उनके प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए इनको जो है वह पूरी तरह से लागू कराया जाए और पूरे प्रदेश में हर दुकान में लागू कराया जाए सभी जगह जो है वह आप नाम भी प्रदर्शित करें वस्तुओं के मूल्य भी प्रदर्शित करें किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी का स्कोप नहीं रहना चाहिए |
जैसे आप देखते हैं ना जब मॉल्स में जाते हैं तो मॉल्स में भी आप देखते होंगे कि कर्मचारी जो है वह अपनी नेम प्लेट लगाकर चलते हैं और हर वस्तु का मूल्य प्रदर्शित रहता है यही तो हम चाहते हैं कि हर छोटी छोटी दुकान भी जो है वह अपने आप को एक मॉल के बराबर समझे और उस मॉल से कंपीट करे उस कंपटीशन को बढ़ावा देने के लिए योगी (yogi adityanath) जी आप आगे बढ़ो एक लंबी लकीर खींच दो से कोई भी आगे किसी भी प्रकार के कुछ भी कहने की स्थिति में ना रहे